Sunday 15 June 2014

सारे ग्रंथों का सार हो तुम


तुम  ईश्वर की संरचना हो
जागती आंखों का सपना हो
जीवन के सारे सुख तुमसे
तुम सबसे सुंदर रचना हो
फीके हैं वेद-पुराण सभी
फीकी हैं सारी कविताएं
सारे ग्रंथों का सार हो तुम
तुम से हैं सारी रचनाएं
तुम हो तो मेरा जीवन है
तुमसे ही मेरा गठबंधन है
तुम सच में शुद्ध कल्पना हो
जागती आंखों का सपना हो

तुम प्यार की एक परिभाषा हो
प्यासे नैनों की भाषा हो
तुम दिल में रहती हो हरदम
तुमसे जनमों का नाता है
तुम मस्जिद हो तुम गुरुद्वारा
तुम मंदिर जैसी पावन हो
तुम मिलीं तो जीवन धन्य हुआ
तुम जीवन की अभिलाषा हो
तुम स्वाति की जब बूंद बनीं
मैं सीपी बनकर तृप्त हुआ
तुम बिन मेरा अस्तित्व नहीं
तुम ही जीवन की आशा हो

5 comments:

  1. आपका धन्यवाद यश जी
    आपके बताये अनुसार मैंने follow option जोड़ लिया है।।

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  2. प्रेम ही तो है
    सब कुछ
    वो न हो तो
    सब व्यर्थ है

    सादर

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    1. बिलकुल... यशोदा जी

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  3. प्रेम का सुंदर चित्रण। बहुत बढ़िया।

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